04 फेब्रुवारी दिनविशेष


*04 फेब्रुवारी दिनविशेष 2023 !*

🛟 *शनिवार* 🛟


💥 *जागतिक कर्करोग दिन*
🌍 *घडामोडी* 🌍  

👉 *2004 - ला आजच्या दिवसी सोशल नेटवर्किंग साईटची सुरवात झाली*
👉 *2014  - ला आजच्या दिवसी सत्यानडेलाहे मायक्रोसॉफ्टचे सहसंस्थापक ई ओ बनले*

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*विदर्भ प्राथमिक शिक्षक संघ नागपूर* 
(प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ नागपूर विभाग नागपूर) 
9860214288, 9423640394
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🌍 *जन्म*🌍

👉 *1974 - ला भारतीय चित्रपट अभिनेञी ऊर्मिला मातोडकर यांचा जन्म*
👉 *1984 - ला 2006 मध्ये इंडीयन आवडले विजेते संदीप आचार्य यांचा जन्म*

        🌍 *मृत्यू*🌍

👉 *1974 - भारतीय गणित तज्ञ सत्येनंद्र बोस यांचे निधन*
👉 *2002 -  भारतीय चित्रपट अभिनेते भगवान अबाजी पालव यांचे निधन*
 
🙏 *मिलिंद विठ्ठलराव वानखेडे*🙏
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*🇮🇳 आझादी का अमृत महोत्सव 🇮🇳*
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       🇮🇳 *गाथा बलिदानाची* 🇮🇳
                 ▬ ❚❂❚❂❚ ▬                  संकलन : सुनिल हटवार ब्रम्हपुरी,          
             चंद्रपूर 9403183828                                                      
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  *महान क्रांतिकारी लाला हरदयाल*
    *जन्म : 14 अक्टूबर, 1884*
              (दिल्ली, भारत)
       *मृत्यु : 4 मार्च, 1939*
     (फिलाडेलफिया, अमेरिका)
अभिभावक : गौरीदयाल माथुर, भोली रानी
पत्नी : सुन्दर रानी
संतान : एक पुत्री
नागरिकता : भारतीय
प्रसिद्धि : महान क्रांतिकारी
विद्यालय : कैम्ब्रिज मिशन स्कूल, सेण्ट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली, पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर, आक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय
शिक्षा : स्नातक, मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (संस्कृत)
विशेष योगदान : ग़दर पार्टी की स्थापना की
                         लाला हरदयाल प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। लाला हरदयाल जी ने 'ग़दर पार्टी' की स्थापना की थी। विदेशों में भटकते हुए अनेक कष्ट सहकर लाला हरदयाल जी ने देशभक्तों को भारत की आज़ादी के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया।

📖 *शिक्षा*
लाला हरदयाल जी ने दिल्ली और लाहौर में उच्च शिक्षा प्राप्त की। देशभक्ति की भावना उनके अन्दर छात्र जीवन से ही भरी थी। मास्टर अमीर चन्द, भाई बाल मुकुन्द आदि के साथ उन्होंने दिल्ली में भी युवकों के एक दल का गठन किया था। लाहौर में उनके दल में लाला लाजपत राय जैसे युवक सम्मिलित थे। एम. ए. की परीक्षा में सम्मानपूर्ण स्थान पाने के कारण उन्हें पंजाब सरकार की छात्रवृत्ति मिली और वे अध्ययन के लिए लंदन चले गए।                               ⚜️ *पोलिटिकल मिशनरी*
लंदन में लाला हरदयाल जी भाई परमानन्द, श्याम कृष्ण वर्मा आदि के सम्पर्क में आए। उन्हें अंग्रेज़ सरकार की छात्रवृत्ति पर शिक्षा प्राप्त करना स्वीकार नहीं था। उन्होंने श्याम कृष्ण वर्मा के सहयोग से ‘पॉलिटिकल मिशनरी’ नाम की एक संस्था बनाई। इसके द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का प्रयत्न करते रहे। दो वर्ष उन्होंने लंदन के सेंट जोंस कॉलेज में बिताए और फिर भारत वापस आ गए।

📰 *सम्पादक*
हरदयाल जी अपनी ससुराल पटियाला, दिल्ली होते हुए लाहौर पहुँचे और ‘पंजाब’ नामक अंग्रेज़ी पत्र के सम्पादक बन गए। उनका प्रभाव बढ़ता देखकर सरकारी हल्कों में जब उनकी गिरफ़्तारी की चर्चा होने लगी तो लाला लाजपत राय ने आग्रह करके उन्हें विदेश भेज दिया। वे पेरिस पहुँचे। श्याम कृष्णा वर्मा और भीकाजी कामा वहाँ पहले से ही थे। लाला हरदयाल ने वहाँ जाकर ‘वन्दे मातरम्’ और ‘तलवार’ नामक पत्रों का सम्पादन किया। 1910 ई. में हरदयाल सेनफ़्राँसिस्को, अमेरिका पहुँचे। वहाँ उन्होंने भारत से गए मज़दूरों को संगठित किया। ‘ग़दर’ नामक पत्र निकाला।                                                  ✍️  *रचनाएँ*
Thoughts on Education
युगान्तर सरकुलर
राजद्रोही प्रतिबन्धित साहित्य(गदर,ऐलाने-जंग,जंग-दा-हांका)
Social Conquest of Hindu Race
Writings of Hardayal
Forty Four Months in Germany & Turkey
स्वाधीन विचार
लाला हरदयाल जी के स्वाधीन विचार
अमृत में विष
Hints For Self Culture
Twelve Religions & Modern Life
Glimpses of World Religions
Bodhisatva Doctrines
व्यक्तित्व विकास (संघर्ष और सफलता)
🙋🏻‍♂️ *ग़दर पार्टी*
ग़दर पार्टी की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के 'एस्टोरिया' में अंग्रेजी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। ग़दर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), लाला हरदयाल (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘ग़दर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘ग़दर पार्टी’ रखा गया था। ‘ग़दर’ पत्र ने संसार का ध्यान भारत में अंग्रेज़ों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की ओर दिलाया। नई पार्टी की कनाडा, चीन, जापान आदि में शाखाएँ खोली गईं। लाला हरदयाल इसके महासचिव थे।

💥 *सशस्त्र क्रान्ति*
                       प्रथम विश्वयुद्ध आरम्भ होने पर लाला हरदयाल ने भारत में सशस्त्र क्रान्ति को प्रोत्साहित करने के लिए क़दम उठाए। जून, 1915 ई. में जर्मनी से दो जहाज़ों में भरकर बन्दूक़ें बंगाल भेजी गईं, परन्तु मुखबिरों के सूचना पर दोनों जहाज़ जब्त कर लिए गए। हरदयाल ने भारत का पक्ष प्रचार करने के लिए स्विट्ज़रलैण्ड, तुर्की आदि देशों की भी यात्रा की। जर्मनी में उन्हें कुछ समय तक नज़रबन्द कर लिया गया था। वहाँ से वे स्वीडन चले गए, जहाँ उन्होंने अपने जीवन के 15 वर्ष बिताए।                        🪔 *मृत्यु*
हरदयाल जी अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कहीं से सहयोग न मिलने पर शान्तिवाद का प्रचार करने लगे। इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए वे फिलाडेलफिया गए थे। 1939 ई. में वे भारत आने के लिए उत्सुक थे। उन्होंने अपनी पुत्री का मुँह भी नहीं देखा था, जो उनके भारत छोड़ने के बाद पैदा हुई थी, लेकिन यह न हो सका, वे अपनी पुत्री को एक बार भी नहीं देख सके। भारत में उनके आवास की व्यवस्था हो चुकी थी, पर देश की आज़ादी का यह फ़कीर 4 मार्च, 1939 ई. को कुर्सी पर बैठा-बैठा विदेश में ही सदा के लिए पंचतत्त्व में विलीन हो गया।
                                                                                                                                                                                                                                                                  
          🇮🇳 *जयहिंद* 🇮🇳

🙏🌹 *विनम्र अभिवादन* 🌹🙏
                                                                                                                                                                                                                                                            ➖➖➖➖➖➖➖➖➖

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